Monday, August 27, 2007

विज्ञान कथा की मेरी समझ -2

विज्ञान कथा मे फिक्शन और फंतासी दोनो का समावेश है .फिक्शन लातिनी शब्द है जिसका मतलब आविष्कार करना होता है और फंतासी यूनानी शब्द है जिसका अर्थ कल्पना करना है.अंग्रेजी साहित्य मे तो साइंस फिक्शन और साइंस फंतासी की अलग अलग पहचान है , मगर हिंदी मे अभी तक इन दोनो उप विधाओं के लिए 'विज्ञान कथा ' शीर्षक से ही काम चलाया जा रहा है. विज्ञान फिक्शन मे विज्ञान के ज्ञात और मान्य नियमों मे फेरबदल कि कतई गुंजाइश नही रहती मगर फंतासी मे ऐसा कोई बन्धन नही रहता .विज्ञान कल्पना के नाम पर आप फंतासी मे जी भर के बेसिर पैर की हांक सकते है.खूब वैज्ञानिक गप्पबाजी कर सकते हैं ,विज्ञान के ज्ञात नियमों को तोड़ मरोड़ सकते हैं.यदि आप प्रकाश की गति से भी तेज चलाने कि कोई जुगत निकाल लेते हैं तो यह विज्ञान फंतासी का नमूना है और यदि मौजूदा अंतरिक्ष यानों से अपने सौर मंडल की सैर पर नौ दिन चले अधाई कोस की रफ़्तार से भी चल कर कोई नया तीर मार लेते हैं ,जैसे चांद पर हीरे की कोई खान खोज लेते हैं तो यह विज्ञान फिक्शन कि कैटेगरी मे आयेगा.एक और बात भी है -फिक्शन का आशय नयी सूझ या विचार से भी है और फंतासी का अर्थ चित्रांकनों /इमजेज से है.आशय यह कि आपके पास यदि कोई जोरदार वैज्ञानिक आइडिया है और उस पर आप ने कहानी लिख मारी और उसका लोकेशन आने वाली दुनिया का है तो यह एक विज्ञान फिक्शन है और यदि आप अपने मन मे चांद सितारों कि दुनिया की अनेक काल्पनिक तस्वीरें बना चुके हैं तो शायद आप के दिमाग मे किसी फंतासी का कीडा कुलबुला रहा है.अब यह आप पर है कि आप किस तरह की विज्ञान कथा लिखने मे अपने को सहज पाते हैं .मगर फर्क क्या पड़ता है आपके इन दोनो तरह की रचनाओं के लिए हिंदी मे तो अभी तक एक ही कैटेगरी है -विज्ञान कथा .तो कब से लिख रहे हैं आप विज्ञान कथा ? बिल्कुल ना हिच्किचायें ,मैं हूँ ना !